फार्मिंग के लिए 5 सोलर इक्विपमेंट
मॉडर्न टेक्नोलॉजी और एडवांसमेंट का उपयोग सिर्फ साइंस ही नहीं बल्कि कई सेक्टर में हो रहा है। इसी में एग्रीकल्चर भी शामिल है जो भारत जैसे कृषि-प्रधान देश के लिए काफी ज़रूरी और लाभकारी है। अगर आप बभी एक किसान हैं और अपनी फसल की पैदावार और कमाई दोनों को बढ़ाना चाहते हैं तो आपको भी एक रिन्यूएबल एनर्जी सोर्स की ओर जाना होगा। इसमें सोलर एनर्जी आपके लिए सबसे ज़रूरी हो सकती है। इस आर्टिकल में हम बात करेंगे 5 ऐसे सोलर इक्विपमेंट के बारे में जो किसान और उनकी खेती दोनों के लिए लाभ प्रदान करते हैं।
1. सोलर वाटर पंप
सिंचाई से संबंधित कृषि गतिविधियों में पंपों का उपयोग होता है। इसके लिए फॉसिल फ्यूल द्वारा ऑपरेटेड पंपों का उपयोग करके की जाती है जिससे किसानों को काफी फाइनेंसियल लॉस और प्रदूषण हो सकता है। ग्रिड बिजली द्वारा ऑपरेटेड पंपों का उपयोग करने से बिजली का बिल भी ज्यादा आता है। ऐसे मामलों में सोलर वाटर पंपों का उपयोग करने से किसानों को कई लाभ मिल सकते हैं।
सोलर वाटर पंप सूर्य से प्राप्त ऊर्जा का उपयोग करके ऑपरेट होते हैं जिससे कोई भी प्रदूषण नहीं होता है। किसान सोलर वाटर पंपों का उपयोग करके अपने खेतों के लिए पानी की नीड को पूरा कर सकते हैं। केंद्र सरकार की पीएम कुसुम योजना जैसी योजनाओं के जरिए कम कॉस्ट पर सोलर वॉटर पंप लगाए जा सकते हैं। इस योजना के तहत सरकार 2 एचपी से 10 एचपी तक की कैपेसिटी वाले सोलर पंपों की इंस्टालेशन कॉस्ट पर 90% तक की सब्सिडी देती है।
2. सोलर ऑन व्हील्स ट्रॉली
सोलर ऑन व्हील्स ट्रॉली किसी भी स्थान पर सोलर पैनलों के आसान ट्रांसपोर्टेशन ऑफर करता है जिससे कृषि क्षेत्रों में उनका काफी तरीकों से उपयोग किया जा सकता है। भारत में कई ब्रांड सोलर ट्रॉलियां ऑफर करते हैं जिनका किसान उपयोग कर सकते हैं। ये ट्रॉलियां सोलर पैनल लगाने के लिए पहले से बनाया गया फ्रेम ऑफर करते हैं, जिससे इन्हें चलते-फिरते सेटअप करना और बिजली जनरेट करने के लिए सोलर पावर का उपयोग करना आसान हो जाता है। किसान अपनी आवश्यकता के अनुसार ट्रॉली का उपयोग करके अपने खेतों में सोलर पैनल लगा सकते हैं।
3. सोलर इन्वर्टर
सोलर इन्वर्टर का उपयोग बैटरी या सोलर पैनलों से प्राप्त DC पावर को AC पावर में कन्वर्ट करने के लिए किया जाता है। आमतौर पर घरों में इस्तेमाल होने वाले ट्रेडिशनल इनवर्टर की तुलना में सोलर इनवर्टर ज्यादा महंगे होते हैं। यह सोलर इन्वर्टर का उपयोग सभी AC-ऑपरेटेड एप्लायंस के आसान ऑपरेशन ऑफर करता है।
सोलर इनवर्टर का उपयोग इन्सटाल्ड सोलर सिस्टम के टाइप के अनुसार किया जाता है जिसमें आम तौर पर ऑन-ग्रिड, ऑफ-ग्रिड और हाइब्रिड सिस्टम शामिल होते हैं। किसान अपने सोलर सिस्टम की कैपेसिटी और टाइप के आधार पर बेस्ट सोलर इन्वर्टर का सिलेक्शन कर सकते हैं।
4. सोलर पॉवर्ड फेंसिंग सिस्टम
सोलर एनर्जी फेंसिंग सिस्टम कृषि क्षेत्रों में एम्प्लॉयड एक सिक्योरिटी सलूशन है। इसमें मेटल वायर का उपयोग करके कृषि क्षेत्र के चारों ओर एक बाउंड्री बनाना शामिल है जिसमें नियमित अंतराल पर इन तारों पर डीसी करंट लगाया जाता है। यह सिस्टम बाहरी जानवरों और घुसपैठियों के लिए काम करता है उन्हें कृषि फील्ड में प्रवेश करने से रोकती है और फसलों को सुरक्षित करती है। कृषि क्षेत्रों के अलावा इस सोलर फेंसिंग सिस्टम का उपयोग इंडस्ट्रियल सेक्टर में भी किया जाता है। यह जंगली जानवरों के खिलाफ एक सुरक्षात्मक उपाय के रूप में कार्य करता है और कई कैपेसिटी के अनुसार इंस्टालेशन की आवश्यकता होती है।
5. सोलर रूफटॉप
किसान अपने घरों की छतों पर सोलर पैनल लगाकर भी अपना बिजली बिल कम कर सकते हैं। भारत सरकार ने छतों पर पैनलों की इंस्टालेशन के लिए कई सोलर रूफटॉप योजना शुरू करी हैं। इन योजनाओं का लाभ उठाकर कम कॉस्ट में सोलर पैनल लगवाए जा सकते हैं। केंद्र और राज्य दोनों सरकारें सोलर पैनल इंस्टालेशन के लिए नागरिकों को सोलर सब्सिडी ऑफर कर रही हैं। सरकार 1 किलोवाट से लेकर 10 किलोवाट तक की कैपेसिटी वाले सोलर पैनल लगाने पर सब्सिडी प्रोवाइड कर रही है।
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