सोलर सेल कैसे काम करते हैं?
सोलर एनर्जी नेचुरल एनर्जी का एक बढ़िया और बहुत ही इम्पोर्टेन्ट सोर्स जो काफी मात्रा में एनर्जी ऑफर करता है। सोलर एनर्जी को बिजली में कन्वर्ट करने के लिए सोलर पैनलों का यूज़ किया जाता है। सोलर पैनल के अंदर लगे सोलर सेल सोलर ऊर्जा को इलेक्ट्रिकल एनर्जी में कन्वर्ट करने का कार्य करते हैं। सोलर सेल को फोटोवोल्टिक (PV) सेल भी कहा जाता है और इसे PN-जंक्शन डायोड माना जाता है। सोलर सेल में कई यूनिक इलेक्ट्रिकल कैरेक्टरिस्टिक्स होती हैं। अगर आपको इसके बारे में जानकारी लेनी है तो आप सही जगह आए हैं। इस आर्टिकल में हम बात करेंगे सोलर सेल के बारे में, यह कैसे बनते हैं और इसके उपयोग के बारे में।
एक ही सोलर पैनल में सिंगल सेल का यूज़ किया जाता है। यह सोलर सेल आमतौर पर सिलिकॉन से बने सिंगल जंक्शन होते हैं, जो मैक्सिमम ओपन-सर्किट वोल्टेज (VOC) जनरेट करने में सक्षम होते हैं। इन्हे लगभग 0.5 से 0.6 वोल्ट VOC जनरेट किया जा सकता है। सोलर पैनलों को सोलर सेल को जोड़कर बनाया जाता है, जिससे एनर्जी प्रोडक्शन बढ़ता है। सोलर पैनल के अंदर सिलिकॉन से बने जंक्शन सेमीकंडक्टर द्वारा बनाए गए सिलिकॉन बॉल से बने होते हैं। इसमें बिजली तभी जनरेट होती है जब फ्री इलेक्ट्रॉन इन जंक्शन बॉल से फ्लो होते हैं।
क्या होता है सोलर सेल ?
एक सोलर सेल को फोटोवोल्टिक (PV) सेल के रूप में भी जाना जाता है, यह फोटोवोल्टिक इफ़ेक्ट के माध्यम से सनलाइट को इलेक्ट्रिसिटी में कन्वर्ट करता है, जहां बिजली केमिकली और फिज़िकली जनरेट होती है। सोलर सेल नेचुरल सनलाइट और आर्टिफिशल रूप से जनरेटेड लाइट दोनों से बिजली का प्रोडक्शन कर सकते हैं। सोलर सेल का उपयोग इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन को मापने और एनर्जी प्रोडक्शन में भी किया जाता है। सोलर सेल के वर्क करने के लिए इन चीज़ों की आवश्यकता होती है:
- सोलर सेल के एक्सटर्नल सर्किट में कर्रिएर का एक्सट्रैक्शन।
- अब्सॉर्ब्ड कर्रिएर का सेपरेशन।
- प्लास्मोन्स या अनबाउंड इलेक्ट्रॉन-होल पेअर, एक्साइटॉन का फार्मेशन और प्रकाश का अब्सॉर्प्शन।
कैसे बनाया जाता है सोलर सेल?
सोलर सेल का कंस्ट्रक्शन PN-जंक्शन डायोड से अलग होता है। सोलर सेल बनाने में, P-टाइप सेमीकंडक्टर की एक पतली लेयर को N-टाइप सेमीकंडक्टर की एक मोटी लेयर के साथ जोड़ा जाता है। इलेक्ट्रोड को P-टाइप सेमीकंडक्टर पर रखा जाता है। P-टाइप सेमीकंडक्टर लेयर पर रखे गए इलेक्ट्रोड यह सुनिश्चित करते हैं कि सूरज की रोशनी बिना किसी बाधा के PN-जंक्शन तक पहुंच सके। N-टाइप सेमीकंडक्टर वाली लेयर में एक करंट कलेक्ट करने वाला इलेक्ट्रोड रखा जाता है।
सोलर सेल का मुख्य कम्पोनेंट प्योर सिलिकॉन है, जिसे क्वार्टजाइट ग्रेवल (पुरेस्ट सिलिका) भी कहा जाता है। सिलिकॉन डाइऑक्साइड से प्राप्त शुद्ध सिलिकॉन को फॉस्फोरस और बोरॉन के साथ मिलाया जाता है। यह प्रक्रिया सिलिकॉन से एक एफ्फिसिएंट सेमीकंडक्टर बनाती है, जो बिजली का कंडक्शन करने में सक्षम है। सौर सेल की सुरक्षा के लिए इसे पतले गिलास से रैप किया जा सकता है। इस तरह के एनकैप्सुलेशन में सोलर सेल को टेडलर बैकशीट के साथ एल्यूमीनियम से बने फ्रेम में रखना शामिल है।
कैसे काम करता है?
सोलर सेल की वर्किंग को इस प्रकार समझा जा सकता है:
- जब सनलाइट सोलर सेल के P-टाइप और N-टाइप सेमीकंडक्टर के बीच PN-जंक्शन पर पहुंचता है, तो फोटॉन आसानी से P-टाइप सेमीकंडक्टर की पतली लेयर में पेनिट्रेट कर जाते हैं।
- फोटॉन PN-जंक्शन को एनर्जी ऑफर करते हैं, जिससे इलेक्ट्रॉन-होल पेअर बनते हैं। यह लाइट जंक्शन के थर्मल एक्विलिब्रियम को बिगाड़ देता है, और फ्री इलेक्ट्रॉनों को जंक्शन के N-टाइप की ओर जाने के लिए इन्दुस किया जाता है।
- होल का एक समान पैटर्न जंक्शन के P-टाइप की ओर बढ़ता है, लेकिन जंक्शन द्वारा बनाए गए संभावित बैरियर के कारण फ्री इलेक्ट्रॉनों को आगे बढ़ने में बाधा आती है।
- फ्री इलेक्ट्रॉनों की बैरियर से जनरेटेड बैरियर सेल के अंदर नए होल के फार्मेशन को रोकता है। इसके कारण, N-टाइप के जंक्शन पर इलेक्ट्रॉनों का डेंसिटी बढ़ जाती है जिससे ज्यादा होल का फार्मेशन होता है।
- इस प्रक्रिया में PN-जंक्शन को बैटरी सेल के रूप में चलाने की अनुमति प्राप्त की जाती है।
एक सोलर सेल बिजली कैसे प्रोडूस करता है?
सोलर सेल में इलेक्ट्रिसिटी प्रोडक्शन की प्रोसेस को ऐसे समझें
- एक सोलर सेल में सिलिकॉन की दो लेयर होती हैं – एक P-टाइप और दूसरी N-टाइप। N-टाइप सेमीकंडक्टर लेयर सनलाइट के संपर्क में है, जिससे यह इलेक्ट्रॉनों को रिलीज़ की अनुमति देता है।
- N-प्रकार लेयर में एक्स्ट्रा इलेक्ट्रॉनों को P-टाइप लेयर में एक्स्ट्रा होल द्वारा प्राप्त किया जाता है।
- P-टाइप सेमीकंडक्टर लेयर को N-प्रकार लेयरके नीचे रखा गया है। जब सूर्य से सोलर एनर्जी (फोटॉन) N-टाइप सेमीकंडक्टर से टकराती है तो लूस इलेक्ट्रॉन बनते हैं जबकि P-टाइप सेमीकंडक्टर में होल बन जाते हैं।
- लूस या फ्री इलेक्ट्रॉन सोलर सेल के अंदर एल्यूमीनियम लेयर पर जमा हो जाते हैं, जिससे बिजली का फ्लो शुरू हो जाता है।
- इलेक्ट्रिसिटी जेनरेशन सोलर सेल के अंदर फोटोवोल्टिक फ्लो के माध्यम से होता है जिससे डायरेक्ट करंट (DC) के रूप में बिजली जनरेट होती है।
फोटोइलेक्ट्रिक इफेक्ट
फोटोइलेक्ट्रिक इफ़ेक्ट उस घटना को संदर्भित करता है जहां प्रकाश के संपर्क में आने पर किसी मटेरियल से इलेक्ट्रॉन एमिट होते हैं। इस प्रक्रिया में, लाइट से फोटॉन सेमीकंडक्टर मटेरियल की सरफेस से टकराते हैं जिससे इलेक्ट्रॉन मटेरियल से बाहर निकल जाते हैं। इन एमिटेड इलेक्ट्रॉनों को फोटोइलेक्ट्रॉन कहा जाता है। फोटोइलेक्ट्रॉनों का एमिशन और उनकी एनर्जी सेमीकंडक्टर मटेरियल की सतह पर इंसिडेंट प्रकाश की फ्रीक्वेंसी पर निर्भर करती है। यह प्रक्रिया, जिसे फोटोएमिशन कहा जाता है इससे बिजली प्रोडक्शन की ओर ले जाती है।
सोलर सेल के टाइप
सोलर सेल कई प्रकार में आते हैं और उनका उपयोग सनलाइट को इलेक्ट्रिकल एनर्जी में कन्वर्ट करके बिजली का प्रोडक्शन करने के लिए किया जाता है। इसमें इस टाइप के सोलर सेल शामिल हैं।
- अमोर्फोस सिलिकॉन सोलर सेल (A-Si)
- हाइब्रिड सोलर सेल
- बायोहाइब्रिड सोलर सेल
- फोटोइलेक्ट्रोकेमिकल सेल (PEC)
- डाई-सेंसिटाइज़्ड सोलर सेल (DSSC)
- फ्लोट-ज़ोन सिलिकॉन सोलर सेल
- कैडमियम टेलुराइड सोलर सेल (CdTe)
- गैलियम आर्सेनाइड जर्मेनियम सोलर सेल (GaAs)
- क्वांटम डॉट सोलर सेल
- मोनोक्रिस्टलाइन सिलिकॉन सोलर सेल (Mono-Si)
- मल्टी-जंक्शन सोलर सेल (MJ)
- पेरोव्स्काइट सोलर सेल
- नॉन-कंसन्ट्रेटेड हेटेरोगेनोस PV सेल
- आर्गेनिक सोलर सेल (OPV)
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