अब सरकारी कॉलेजों में भी लगेंगे सोलर पैनल
सोलर पैनल एनवायर्नमेंटल-फ्रेंडली बिजली पैदा करने की अपनी कैपेसिटी के लिए पॉपुलर हैं। सोलर पैनल का उपयोग करके आप बिजली का एफ्फिसेंटली उपयोग करते हुए पर्यावरण में प्रदूषण को कम कर सकते हैं। सोलर पैनल की इम्पोर्टेंस को समझते हुए सरकार नागरिकों को इन्हें वाइडली लगाने के लिए इन्सेन्टिवाइस करती है।
सोलर पैनल के बढ़ते उपयोग से आप अपने बिजली के बिलों को काफी हद तक कम कर सकते हैं या जीरो कर सकते हैं साथ ही अपने कार्बन फुटप्रिंट को भी कम कर सकते हैं। इस आर्टिकल में हम बात करेंगे सोलर पैनलों के उपयोग को जिसे और बढ़ाने के लिए सरकारी कॉलेज में भी लगाया जाएगा और बिजली की कॉस्ट को कम किया जाएगा।
सरकारी कॉलेजों को सोलर पैनल मिलेंगे
GEDCOL (ओडिशा के ग्रीन एनर्जी डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड) के सहयोग से सरकार ने राज्य के सरकारी कॉलेजों में सोलर पैनल लगाने की अनाउंसमेंट करी है ताकि उन्हें ग्रीन कैंपस में बदला जा सके। ओडिशा रिन्यूएबल एनर्जी पालिसी 2022 के साथ अलाइंड इस इनिशिएटिव में 48 सरकारी डिग्री कॉलेजों और 16 टीचर एजुकेशन इंस्टीट्यूशन में सोलर एनर्जी सिस्टम लगाई जाएगी। यह एफर्ट इन कापुस को एनवायर्नमेंटल-फ्रेंडली बनाएगा और अन्य कॉलेजों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करेगा।
इस इनिशिएटिव से मिलेंगे कई लाभ
स्टेट-लेवल डिपार्टमेंट को सोलर पैनल लगाने के लिए GEDCOL से हेल्प मिलेगी। एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन में छत पर सोलर एनर्जी सिस्टम इंस्टॉल करने के लिए GEDCOL को सोल एक्सेक्यूटिंग एजेंसी के रूप में डिज़ाइन किया गया है। इसमें ये लाभ शामिल हैं।
सोलर पैनल एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन के लिए बिजली पैदा करेंगे जिससे उनके बिजली बिल में काफी कमी आएगी। बिजली बिलों में बचत को एजुकेशनल और स्टूडेंट वेलफेयर एक्टिविटी की ओर रिडिरेक्ट किया जा सकता है। सोलर पैनल लगाने से पर्यावरण को स्वच्छ और सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी जिससे स्टेट और देश की रिन्यूएबल एनर्जी कैपेसिटी में भी ग्रोथ होगी।
योजना का ऑपरेशन करने वाले ऑफिसियल ने कहा कि इसका गोल इंस्टीट्यूशन को उनकी बिजली की जरूरतों में इंडिपेंडेंट बनाना और एनर्जी कंसम्पशन को कम करके ग्रीन कैंपस बनाना है।
निष्कर्ष
यह इनिशिएटिव सोलर पैनलों के उपयोग को बढ़ावा देगा जिससे देश के अन्य इंस्टीट्यूशन को रिन्यूएबल एनर्जी सोर्स को अपनाने के लिए इन्सेन्टिवाइस किया जाएगा। सोलर पैनलों के बढ़ते उपयोग से फॉसिल फ्यूल पर निर्भरता कम हो सकती है और आपका कार्बन फुटप्रिंट भी कम होगा जिससे ग्रीन एनर्जी फ्यूचर की और बढ़ावा मिलेगा।
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