सरकार ने सोलर पैनल पर लगाई एंटी-डंपिंग ड्यूटी
भारत के बढ़ते सोलर एनर्जी सेक्टर ने देश के महत्वपूर्ण लक्ष्यों को हासिल करने की ओर तेज़ी दिखाई है जिससे देश 2030 तक 280 गीगावाट की सोलर क्षमता हासिल करने के लक्ष्य की तरफ बढ़ रहा है। यह वृद्धि का कारण है देश में बढ़ती ऊर्जा की मांग, सरकारी नीतियां, तकनीकी विकास और भारत के कई राज्यों का मौसम जो कई तरह के अक्षय ऊर्जा स्रोतों को प्रदान करता है। यह सब देश की बढ़ती अक्षय ऊर्जा की तरफ जाने में अपना एहम योगदान दे रहे हैं और ज़रूरी कारक हैं देश को आगे लेकर जाने में।
भारत की बढ़ती वृद्धि में कई कंपनियां जैसे टाटा पावर सोलर, अडानी ग्रीन एनर्जी, रीन्यू पावर और विक्रम सोलर, आदि रूफटॉप सोलर, सोलर फार्म, सोलर समाधान और अत्याधुनिक पीवी तकनीक को आगे बढ़ा रही हैं जिससे देश के अक्षय ऊर्जा के लक्ष्यों को हासिल करने में तेज़ी मिल रही है। इन कंपनियों की निवेश की योजनाओं के कारण यह भारत को ही नहीं बल्कि और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी देश को सोलर ऊर्जा के बाजारों के लिए एक केंद्र बना रहा है।
हाइलाइट्स
- भारत सरकार ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की शुरुवात की है जिससे नागरिकों को और देश को कई लाभ मिलते हैं।
- बोरोसिल रिन्यूएबल्स जैसी देश की सोलर निर्माण वाली कंपनियों की सुरक्षा के लिए वित्त मंत्रालय ने पैनल में इस्तेमाल होने वाले टेक्सचर्ड टेम्पर्ड ग्लास पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाई है।
- इसके तहत चीन के आयातों पर $673 से $677/ मीट्रिक टन और वियतनाम के आयातों पर $565/ मीट्रिक टन की ड्यूटी लगाई गयी है।
सरकार की नई पहल सोलर एनर्जी को समर्थन देते हुए
भारत सरकार ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की शुरुवात की है जिससे नागरिकों को और देश को कई लाभ मिलते हैं। इसमें पहली है राष्ट्रीय सौर मिशन जिसके तहत सौर पार्क और छतों पर सौर ऊर्जा प्लान के विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। फिर आती है पीएम-कुसुम योजना जो कृषि के लिए सौर ऊर्जा से चलने वाले पंपों को बढ़ावा देती है और पारंपरिक ग्रिड बिजली पर निर्भरता ख़तम करती है।
इसके बाद आती है PLI योजना जो सोलर मॉड्यूल के निर्माण को भारत में बनाने के लिए प्रोत्साहित करती है और आयात पर निर्भरता कम करती है। सरकार सोलर एनर्जी के समाधानों को ज्यादा से ज्यादा उपयोग करने और बढ़ावा देने के लिए नेट मीटरिंग और रिन्यूएबल एनर्जी के सर्टिफिकेट भी प्रदान करती है। सरकार की इन पहलों के माध्यम से भारत को नवीकरणीय ऊर्जा में पूरी दुनिया में सबसे ऊपर स्थापित करने में मदद मिलेगी।
सरकार की नई एंटी-डंपिंग योजना
बोरोसिल रिन्यूएबल्स जैसी देश की सोलर निर्माण वाली कंपनियों की सुरक्षा के लिए वित्त मंत्रालय ने पैनल में इस्तेमाल होने वाले टेक्सचर्ड टेम्पर्ड ग्लास पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाई है। इसके तहत चीन के आयातों पर $673 से $677/ मीट्रिक टन और वियतनाम के आयातों पर $565/ मीट्रिक टन की ड्यूटी लगाई गयी है। इससे 550 MW क्षमता के सोलर पैनलों पर प्रति पैनल ₹1,439 की कीमत हो जाती है।
देश के स्वतंत्र बिजली उत्पादकों (IPP) के अनुमान के अनुसार ₹1 से ₹2.50 प्रति वाट पीक वृद्धि होगी जिससे सोलर ऊर्जा से सबंधी परियोजनाएँ अव्यवहारिक हो जाएँगी। इससे देश के घरेलू उत्पादन से मांग का केवल 84% ही पूरा हो रहा है इसलिए इन परियोजनाओं में देरी हो रही है। साथ ही सरकार द्वारा बढ़ी हुई लागत भारत के अक्षय ऊर्जा लक्ष्यों को पूरा करने में भी बाधा बन सकती है।
निष्कर्ष
सरकार की नई एंटी-डंपिंग ड्यूटी के लगने से देश में सौर विनिर्माण को समर्थन देने का प्रयास किया गया है। लेकिन यह देश में चल रही नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं की व्यवहार्यता के बीच के संतुलन को भी दर्शाता है। इस योजना से बोरोसिल रिन्यूएबल्स जैसी देश की कंपनियों को मज़बूती प्रदान की जाती है लेकिन इससे देश में चल रही परियोजनाओं की लागत भी बढ़ती है जिससे भारत के स्वच्छ ऊर्जा के लक्ष्यों में भी देरी होती हैं।
अस्वीकरण – यह जानकारी केवल जानकारी के उद्देश्यों के लिए है और इससे किसी भी प्रकार की निवेश की सलाह नहीं दी जाती है।