जोधपुर जिले के भड़ला में बना है दुनिया का सबसे बड़ा सोलर पार्क, जानिए एक दिन में बनाता है कितनी बिजली

राजस्थान के जोधपुर शहर के भड़ला गाँव में बना दुनिया का सबसे बड़ा सोलर पार्क

राजस्थान के जोधपुर डिस्ट्रिक्ट के भड़ला गांव में बना भड़ला सोलर पार्क बन गया है दुनिया का सबसे बड़ा सोलर पार्क। यह सोलर पार्क 14,000 एकड़ (56.6 स्क्वायर किमी) एरिया में फैला हुआ है जिसकी टोटल कैपेसिटी 2,245 मेगावाट है। यह कैपेसिटी भारत के मेजर शहरों में से एक कोलकाता की पावर की नीड को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।

भड़ला सोलर पार्क सोलर एनर्जी के सबसे लार्ज स्केल एप्लीकेशन को डेमोंस्ट्रेट करता है। जहाँ मोरक्को को पहले सोलर एनर्जी जनरेशन कैपेसिटी लीडर माना जाता था वहां अब राजस्थान का भड़ला सोलर पार्क ग्लोबल स्केल पर सोलर एनर्जी के इतने बड़े प्रोजेक्ट के साथ नया बेंचमार्क सेट कर रहा है।

सोलर एनर्जी का ग्लोबल इम्पैक्ट

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जोधपुर के भड़ला में बना है दुनिया का सबसे बड़ा सोलर पार्क, जानिए कितनी बिजली जनरेट करता है यह सोलर पार्क
Source: NS Energy

ग्लोबल लेवल पर सोलर एनर्जी का उपयोग काफी तेज़ी से बढ़ रहा है। यह एस्टीमेट लगाया गया है कि सहारा डेजर्ट के 500,000 स्क्वायर किलोमीटर में सोलर पैनल लगाने से पूरी दुनिया की एनर्जी की डिमांड पूरी करी जा सकती है।

इंडिविजुअल लेवल सोलर पैनल लगाने से कई एनर्जी की दिक्कतों से निपटा जा सकता है। आज लोग ऑन-ग्रिड और ऑफ-ग्रिड सिस्टम के माध्यम से अपनी बिजली की ज़रूरतों को पूरा कर सकते हैं और एडिशनल एनर्जी को ग्रिड में वापस भेज कर पैसे भी कमा सकते हैं।

फ्यूचर प्रॉस्पेक्ट

सोलर एनर्जी के बढ़ते उपयोग से आने वाले समय में सबसे ज्यादा उपयोग में ली जाने वाली एनर्जी में से एक होगी। इस एनर्जी को या तो हेलियोट्रोप हाउस या सोलर-पावर्ड हाउस जैसे तरीकों से हार्नेस किया जाएगा। साथ ही फ्लोटिंग सोलर पैनल और सोलर पार्क के ज़रिए कमर्शियल और इंडस्ट्रियल लेवल पर उपयोग किया जाएगा। इस हम मुफ्त एनर्जी का लाभ उठा सकेंगे बिना कार्बन फुटप्रिंट को बढ़ाए।

सोलर एनर्जी के उपयोग को वाइडस्केल करने के लिए कई चैलेंज भी सामने आ रहे हैं जिससे हमें निपटना है। इसमें सोलर पैनलों के मैन्युफैक्चरिंग और रीसाइक्लिंग की कॉस्ट शामिल है। इंडिविजुअल लेवल पर सोलर पैनल लगाकर इस चैलेंज को कम किया जा सकता है। जैसे जैसे सोलर पैनल की टेक्नोलॉजी में इनोवेशन होगा और इनका उपयोग बढ़ेगा वैसे ही पैनलों की कॉस्ट भी कम होगी।

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