सोलर पैनलों पर 25 साल की वारंटी क्लेम की पूरी सच्चाई जानिए
बिजली के बढ़ते बिलों के कारण कई लोग अपनी लागत कम करने के लिए सोलर पैनल की ओर रुख कर रहे हैं। बेहतरीन फ़ायदों के कारण बाज़ार में सोलर पैनल की मांग हर दिन बढ़ रही है। सोलर पैनल 25 साल की वारंटी के साथ आते हैं, लेकिन कई ग्राहकों को यह लगता है की यह सच नहीं है। आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से इसी के बारे में बात करने वाले हैं। हम जानेंगे कैसे सोलर पैनल इतनी लम्बी वारंटी ऑफर करते हैं और कैसे ये शानदार परफॉरमेंस डिलीवर करते हैं बिना पर्यावरण को नुक्सान पहुँचाए।
क्या सोलर पैनल सच में 25 साल की वारंटी ऑफर करते हैं ?
जब कोई मनुफैक्टर रूफटॉप सोलर पैनल पर 25 साल की वारंटी देता है तो इससे ग्राहकों को राहत मिलती है की वे एक लम्बा इन्वेस्टमेंट कर रहे हैं। ग्राहक अक्सर सोचते हैं कि क्या वे वास्तव में इस वादे पर भरोसा कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आप 1 साल की वारंटी वाला कोई भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस खरीदते हैं और 6 महीने में यह खराब हो जाता है तो बिना झिझक किए कंपनी से वारंटी क्लेम करके अपने डिवाइस को ठीक करवा सकते हैं या नया ले सकते हैं।
सोलर पैनल मैन्युफैक्चरिंग में सरकारी इंसेंटिव
सोलर एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने 2021 में प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना शुरू करी है जो घर पर सोलर पैनल लगाने वालों को फाइनेंसियल असिस्टेंस ऑफर करती है। भारत में दो प्रकार के सोलर पैनल बनाए जाते थे – मोनोक्रिस्टलाइन और पॉलीक्रिस्टलाइन। 2021 में सरकार ने पॉलीक्रिस्टलाइन पैनलों को उनकी कम एफिशिएंसी (17-18%) के कारण फेज आउट कर दिया था।
मिनिस्ट्री ऑफ़ न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी ने एक नया स्टैंडर्ड सेट किया है जिसके तहत मिनिमम मॉड्यूल एफिसिएंसी 19.50% होनी चाहिए। इसका मतलब है कि अब केवल मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल ही बढ़ावा दिए जा रहे हैं और बनाए जा रहे हैं जो इस एफिसिएंसी स्टैंडर्ड को पूरा करते हैं।
सोलर पैनलों पर वारंटी
सरकार द्वारा मॉडल और मैन्युफैक्चरर की अप्रूवल लिस्ट (ALMM) से पॉलीक्रिस्टलाइन पैनलों को हटाने से कंस्यूमर के लिए कई समस्याएँ पैदा हो सकती हैं। अगर टेक्नोलॉजी प्रोग्रेस के कारण ALMM लिस्ट में पुरानी कंपनियों को नई कंपनियों से बदल दिया जाता है तो ग्राहकों को 25 साल की वारंटी का दावा करना चुनौतीपूर्ण लग सकता है खासकर अगर मैन्युफैक्चरर बिज़नेस से बाहर हो जाते हैं या अपने पुराने प्रोडक्ट को सपोर्ट करना बंद कर देते हैं। इस बदलाव का मतलब है कि पॉलीक्रिस्टलाइन पैनलों की डिमांड कम हो जाएगी, जिससे इन पैनलों की कीमतें बढ़ जाएंगी। इन्हें खरीदने वाले ग्राहकों को ज्यादा पैसे देने पड़ सकते हैं और वारंटी क्लेम में बाधा का सामना करना पड़ सकता है।
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