भारत के तमिल नाडु में मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी के अपग्रेड के लिए फर्स्ट सोलर इन्वेस्ट करेगा ₹2,500 करोड़
भारत की लीडिंग सोलर कंपनियों में से एक, फर्स्ट सोलर तमिलनाडु में अपने सोलर मॉड्यूल मैन्युफैक्चरिंग प्लांट में टेक्निकल अपग्रेड के लिए अगले 2-3 साल में लगभग ₹2,500 करोड़ की इन्वेस्टमेंट करने का प्लान बना रही है। भारतीय डिवीज़न के वाईस-प्रेजिडेंट और कंट्री मैनेजिंग डायरेक्टर सुजॉय घोष के अनुसार, इस इन्वेस्टमेंट अपने 3.3 गीगावाट प्रति साल इंटीग्रेटेड सोलर मॉड्यूल यूनिट के थ्रूपुट को बढ़ाएगी।
इस टेक्नोलॉजी अपग्रेड से कैसे मिलेगा लाभ?
फर्स्ट सोलर भारत का पहला फूली-इंटीग्रेटेड वर्टिकल स्ट्रक्चर्ड सोलर मैन्युफैक्चरिंग प्लांट ऑपरेट करता है जो 3.3 गीगावाट की कैपेसिटी के साथ सेमीकंडक्टर से लेकर मॉड्यूल तक का प्रोडक्शन संभालने में सक्षम है। इस प्लांड अपग्रेड से विमैन्युफैक्चरिंग प्लांट की इफेक्टिव कैपेसिटी 3.5 गीगावाट तक बढ़ने और एडिशनल 300 नौकरियों के क्रिएट होने की उम्मीद है।
अब तक कंपनी ने प्लांट के डेवेलपमेंट में लगभग ₹5,600 करोड़ का इन्वेस्टमेंट किया है। फर्स्ट सोलर प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना के तहत आवश्यक सप्लाई चैन को लोकल बनाने पर भी फोकस कर रहा है। घोष ने यह भी कहा कि सप्लाई चैन बनाने में समय लगता है लेकिन एक बार मुख्य प्लांट सेटअप हो जाने और डिमांड क्लियर हो जाने के बाद यह प्रोसेस काफी स्पीड अप हो जाएगा।
फ्यूचर प्रॉस्पेक्ट
मिनिस्ट्री ऑफ़ न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी ने हाल ही में सोलर सेल को शामिल करने के लिए मॉडल और मैन्युफैक्चरर की अप्प्रूव की गई लिस्ट (ALMM) का एक्सपैंड करने का प्रपोजल दिया है। घोष ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत में ग्लोबल सोलर वैल्यू चैन में चीन के स्ट्रेटेजिक डोमिनान्स को चैलेंज देने की कैपेसिटी है।
लेकिन ऐसा करने के लिए देश को सोलर सेल जैसे ज़रूरी कंपोनेंट्स के लिए चीनी सप्लाई चैन पर अपनी निर्भरता कम करनी होगी। मेड इन इंडिया सोलर इक्विपमेंट बनाने से भारतीय सोलर प्रोडक्शन कैपेसिटी भी बढ़ेगी जिससे देश बिना बहार के देशों पर निर्भर हुए अपनी सोलर कैपेसिटी को बढ़ा सकेगा बिना सप्लाई चैन की चिंता किए।
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