जानिए सोलर सिस्टम लगवाने में कितना खर्च आता है? जानिए कैसे मिलेगी सब्सिडी

एक सोलर सिस्टम को इंस्टॉल करने में कितना खर्चा आता है, जानें

सोलर पैनल बिजली प्रोडक्शन के लिए सूर्य से सोलर एनर्जी का उपयोग करते हैं। वे एनवीरोंमेन्टली-फ्रेंडली हैं क्योंकि वे बिना किसी प्रदूषण के बिजली का उत्पादन करते हैं। इसके अलावा सोलर पैनलों का उपयोग करने से बिजली ग्रिड बिलों में काफी कमी आ सकती है जिससे जनरेट की गई बिजली से लॉन्ग-टर्म बेनिफिट मिलता है। आज सोलर एनर्जी इंडस्ट्री तेज़ी से बढ़ रही है और इसका कारण सरकारी द्वारा प्रदान की गई सब्सिडी योजना से भी है जिससे सोलर कंपनियों और नागरिकों को प्रोत्साहन मिल रहा है सोलरएनर्जी पर शिफ्ट होने के लिए।

सोलर सिस्टम में उपयोग होने वाले कंपोनेंट्स

सोलर सिस्टम इंस्टॉल करने के लिए आपको सोलर पैनल, एक सोलर इन्वर्टर और सोलर बैटरी की ज़रुरत पड़ती है। सोलर पैनल सनलाइट से बिजली पैदा करते हैं वहीँ सोलर इन्वर्टर पैनलों से जनरेट किए गए डायरेक्ट करंट को अल्टेरनेटिंग करंट में कन्वर्ट करते हैं जिससे आप घर के एप्लायंस को पावर दे सकते हैं आसानी से। सोलर बैटरी का उपयोग पावर बैकअप के लिए होता है जहाँ रात या पावर कट के समय स्टोर की गयी पावर का उपयोग किया जा सकता है।

सोलर पैनल से पूरे घर को पावर देने की कॉस्ट

एक सोलर सिस्टम को इंस्टॉल करने में कितना खर्चा आता है और कोन से फैक्टर लागत को एफेक्ट करते हैं, जानें
Source: Business Today

सोलर पैनल लगाने की कॉस्ट कई फैक्टर पर निर्भर करती है

कॉस्ट की कैलकुलेशन वाट कैपेसिटी के आधार पर की जाती है। कैपेसिटी जितनी ज्यादा होगी प्रति वाट कॉस्ट उतनी ही कम होगी। अलग-अलग प्रकार के सोलर पैनल जैसे पॉलीक्रिस्टलाइन, मोनोक्रिस्टलाइन और बाइफेसियल पैनल भी सिस्टम की ओवरआल कॉस्ट को एफेक्ट करते हैं। पॉलीक्रिस्टलाइन पैनल सबसे किफ़ायती और सब ज्यादा इस्तेमाल किए जाते हैं।

मोनोक्रिस्टलाइन पैनल ज़्यादा महंगे होते हैं लेकिन ज़्यादा एफिशिएंसी ऑफर करते हैं। वहीँ बाइफेसियल पैनल लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हैं और सबसे एडवांस होते हैं, ये पैनल दोनों साइड से पावर जनरेट कर सकते हैं और उसकी वजह से सबसे मेहेंगे भी होते हैं।

एक सोलर सिस्टम को प्रोफेशनल इंस्टालेशन की आवश्यकता होती है। पैनलों को लंबे समय तक सनलाइट के संपर्क में रहने वाले स्थान पर लगाना ज़रूरी होता है।सोलर सिस्टम की प्रॉपर कैपेसिटी निर्धारित करने के लिए इंस्टालेशन साइट के पावर लोड की जानकारी होना आवश्यक है। एक सोलार इन्वर्टर DC को AC में कन्वर्ट करता है, यह PWM और MPPT टेक्नोलगोय में उपलब्ध हैं। सोलर बैटरी C10 और C20 रेटिंग के साथ उपलब्ध हैं जो पावर स्टोरेज के लिए काम आती हैं।

एस्टिमेटेड कॉस्ट एक घर को सोलर एनर्जी से पावर देने के लिए

एक 5 किलोवाट के सोलर सिस्टम के लिए सभी आवश्यक उपकरण और इंस्टालेशन सहित टोटल कॉस्ट ₹4 लाख से ₹6 लाख तक हो सकती है। यह कॉस्ट सोलर पैनलों के टाइप और उपयोग की जाने वाली सोलर बैटरी की कैपेसिटी के आधार पर अलग-अलग होती है।

एक सोलर सिस्टम इंस्टॉल करने से पहले सिस्टम को एफेक्ट करने वाले फैक्टर को समझना आवश्यक है। यह जानकारी आपको मदद करती है एक एफ्फिसिएंट और कॉस्ट-इफेक्टिव सिस्टम सेटअप करने में। सोलर सिस्टम से आप न केवल बिजली के बिल को कम कर सकते हैं बल्कि स्वच्छ पर्यावरण में भी योगदान देती है।

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