भारत ने ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र के निवेश में पीछे छोड़ा चीन को और बना इस क्षेत्र में पूरी दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बाजार
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत ने घरेलू हरित विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने के प्रयासों से प्रेरित होकर हरित निवेश के लिए चीन को पीछे छोड़ दिया है। 2024 के Q3 में, भारत ने $2.4 बिलियन के रिन्यूएबल एनर्जी के अनुबंध हासिल किए हैं जो चीन के मुकाबले 4x हैं। इस तरह से भारत अब पूरी दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बाजार बन गया है अमेरिका के बाद क्लीन-टेक के विषतोषण में।
इस विकास का कारण जानें
चीन पर अपनी निर्भरता कम करने और खुद को इस तकनीक में एक प्रमुख निर्यातक के रूप में स्थापित करने के लिए भारत स्वच्छ ऊर्जा क्षमता के विकास को देश में ही प्राथमिकता दे रहा है जिसके कारण आज देश तेज़ी से इस ऊर्जा के विकास की ओर बढ़ रहा है। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के अनुसार भारत 2030 तक अक्षय ऊर्जा वृद्धि में दुनिया का सबसे बड़ा देश बनने के रास्ते पर है।
2024 में भारत 12 से ज्यादा अक्षय ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) कंपनियाँ सार्वजनिक हो गई हैं। इसमें देश की सबसे बड़ी कंपनियां जैसे वारी एनर्जीज लिमिटेड और ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लिमिटेड शामिल हैं। देश की प्रमुख ग्रीन एनर्जी कंपनी NTPC ने भी IPO के बाद से 30% से ज्यादा का लाभ प्रदान किया है।
ब्रिटिश इंटरनेशनल इन्वेस्टमेंट पीएलसी (BII), यूके सरकार की विकास-वित्त शाखा, ने भी जलवायु से संबंधी परियोजनाओं के लिए 2026 तक भारत में 1 बिलियन डॉलर निवेश करने की योजना बनाई है। भारत में सीड-स्टेज के निवेश का लगभग 25% अब जलवायु से संबंधित स्टार्टअप की ओर निर्देशित किया जा चूका है।
निवेश का दृष्टिकोण
भारत ने इस साल हरित तकनीक की निधि में $3.6 बिलियन जुटाए हैं, लेकिन यह अभी भी चीन के $5.6 बिलियन से काफी पीछे है। भारत 2070 के लक्ष्य से 20 साल पहले अपने शुद्ध-शून्य के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए लगभग $12.4 ट्रिलियन की आवश्यकता है। भारत के 800 जलवायु-केंद्रित स्टार्टअप में से केवल 1/4 ने पिछले दशक में वित्तपोषण हासिल किया है। वहीँ हरित स्टार्टअप ने पिछले 10 सालों में $3.6 बिलियन जुटाए हैं और फिनटेक फर्मों ने $19 बिलियन जुटाए हैं।
एवरसोर्स कैपिटल ने 2022 में भारत का सबसे बड़ा जलवायु प्रभाव फंड लॉन्च किया है और वर्तमान में ऊर्जा मांग सेवाओं में $125 मिलियन का निवेश कर रहा है। अवाना कैपिटल भी ऊर्जा और आपूर्ति श्रृंखला क्षेत्रों में एक शुरुवाती चरण का निवेशक है जिसने अक्टूबर 2024 में $135 मिलियन जुटाए हैं। भारत जलवायु तकनीक के लिए तेजी से बढ़ते बाजार में से एक है और दुनिया के तीसरे सबसे बड़े ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक में से एक है।
निष्कर्ष
भारत की स्वच्छ ऊर्जा और ग्रीन एनर्जी की तकनीक में नीति समर्थन, अंतर्राष्ट्रीय विस्तोशन और आत्मनिर्भरता के लिए यह एक बढ़िया पहल है। आने वाले समय में लक्ष्यों के लिए पर्याप्त पूंजी जुटाने के लिए कई चुनौतियां बनी हुई हैं। लेकिन फिर भी निवेश में वृद्धि के कारण यह क्षेत्र भारत के ऊर्जा के क्षेत्र को बदलने और दुनिया में जलवायु समाधान में योगदान करने के लिए एक आशाजनक दृष्टिकोण प्रदान करता है।