भारत में जल्द पेश होंगे नई तकनीक के हाइड्रोजन सोलर पैनल – रात में भी बनाएंगे बिजली

जल्द पेश होंगे नई तकनीक के हाइड्रोजन सोलर पैनल

सौर पैनल तकनीक में प्रगति होने के साथ अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भी निरंतर प्रगति देख जा रही है। इस क्षेत्र में सबसे नए नवाचारों में से एक है हाइड्रोजन सोलर पैनल। यह एक अभूतपूर्व तकनीक है जो दिन और रात दोनों समय बिजली पैदा करने में इन पैनलों को सक्षम बनाती है। यह लेख में हम बात करेंगे हाइड्रोजन सोलर पैनल की विशेषताओं के बारे में और जानेंगे इन पैनलों के मूल्य और क्षमता के बारे में। आइए जानते हैं।

हाइड्रोजन सोलर पैनल एक अत्याधुनिक सोलर सिस्टम हैं जो पारंपरिक बैटरी स्टोरेज की आवश्यकता के बिना बिजली पैदा करने में सक्षम होते हैं। यह पैनल दिन के दौरान सौर ऊर्जा का उपयोग करके बिजली पैदा करते हैं, साथ ही दिन के दौरान बनाए गए हाइड्रोजन का उपयोग करके रात में बिजली पैदा करते हैं। यह पैनल सूर्य के प्रकाश पर निर्भरता के बिना 24/7 बिजली की आपूर्ति प्रदान करने में सक्षम होते हैं।

मुख्य हाइलाइट्स

  • हाइड्रोजन सोलर पैनल पारंपरिक सिस्टम की तुलना में अलग तरीके से काम करते हैं।
  • यह पैनल इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए एकत्रित पानी का उपयोग करते हैं।
  • भारत में आने के बाद यह पैनल ₹3,00,000 से ₹6,00,000 प्रति किलोवाट तक की कीमत के साथ आ सकते हैं, जो उन्हें मानक पैनलों की तुलना में अधिक महंगा बनाता है।

कैसे काम करते हैं यह हाइड्रोजन सोलर पैनल?

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भारत में जल्द पेश होंगे नई तकनीक के हाइड्रोजन सोलर पैनल, पूरा विवरण जानें
Source: Sonnenseite

हाइड्रोजन सोलर पैनल पारंपरिक सिस्टम की तुलना में अलग तरीके से काम करते हैं। दिन में संचालन के लिए यह पैनल तत्काल उपयोग के लिए सौर ऊर्जा को बिजली में परिवर्तित करते हैं और हवा से पानी इकट्ठा करते हैं। यह पैनल इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए एकत्रित पानी का उपयोग करते हैं।

वहीँ रात के समय संचालन के लिए बिजली उत्पन्न करने के लिए यह पैनल संग्रहीत की गई हाइड्रोजन का उपयोग करते हैं जिससे निरंतर बिजली आपूर्ति प्रदान हो सकती है। इस प्रक्रिया के माध्यम से महंगी बैटरी भंडारण सिस्टम की आवश्यकता समाप्त हो जाती है और दक्षता बनाए रखते हुए समग्र लागत कम हो जाती है।

हाइड्रोजन सोलर पैनल के लाभ जानें

पारंपरिक पैनलों के विपरीत, वे सूर्य के प्रकाश तक सीमित नहीं हैं और 24/7 बिजली प्रदान करते हैं। यह पैनल बैकअप बैटरी सिस्टम की आवश्यकता को ख़तम करते हैं और लम्बे समय में परिचालन लागत को कम करते है। यह पैनल कार्बन उत्सर्जन को कम करते हैं और हाइड्रोजन उत्पादन के लिए हवा में पानी का उपयोग करते हैं। पारंपरिक पैनलों की तुलना में यह पैनल लंबे जीवनकाल के साथ शानदार प्रदर्शन को प्रदान करता है।

भारत में कीमत और उपलब्धता

भारत में आने के बाद यह पैनल ₹3,00,000 से ₹6,00,000 प्रति किलोवाट तक की कीमत के साथ आ सकते हैं, जो उन्हें मानक पैनलों की तुलना में अधिक महंगा बनाता है। तकनीक में प्रगति और भारतीय निर्माताओं द्वारा उत्पादन में वृद्धि के साथ आने वाले समय में इन पैनलों की कीमतें लगभग ₹1,00,000 प्रति किलोवाट तक हो सकती है।

भारत की कई सोलर कंपनियाँ सक्रिय रूप से हाइड्रोजन सोलर पैनल विकसित करने के लिए प्रयास कर रही हैं और इनका पहला उत्पाद 2026 तक बाजार में उपलब्ध हो सकता है। जैसे-जैसे इसे अपनाया जाएगा ये पैनल और भी ज्यादा किफायती और सुलभ हो जाएँगे।

सरकार की तरफ से समर्थन और भविष्य का दृष्टिकोण

भारत हरित ऊर्जा भविष्य की ओर संक्रमण के लिए इस तकनीक को सक्रिय रूप से अपना रहा है। 2022 में भारत सरकार ने ग्रीन हाइड्रोजन ऊर्जा को अपनाने में तेजी लाने के लिए कई नीतियां पेश कीं हैं। 2030 तक भारत जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता को काफी कम करने और ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन में पूरी दुनिया में अग्रणी होने का लक्ष्य रखता है।

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