गुजरात में इंस्टॉल होगा 750 MW कैपेसिटी वाला फ्लोटिंग सोलर पैनल सिस्टम जो स्टोर कर सकेगा 1.5 MWh बिजली को
आज के समय में सोलर एनर्जी का उपयोग करके बिजली जनरेट करना पर्यावरण को सुरक्षित और साफ़ रखने का सबसे बढ़िया और एफिसिनेट तरीका है। इस सेक्टर में तेज़ी से ग्रोथ के साथ कमर्शियल और इंडस्ट्रियल उपयोग के अलावा रेजिडेंशियल उपयोग भी बढ़ता जा रहा है। इस तेज़ी में गुजरात राज्य सबसे आगे निकल गया है जिसकी सोलर कैपेसिटी आज के समय में 750 MW से ज्यादा है। इस आर्टिकल में हम बात करेंगे गुजरात के नर्मदा कैनाल में इनस्टॉल किया जा रहा है फ्लोटिंग सोलर पैनल सिस्टम। आइए जानते हैं इसके बारे में।
गुजरात में इंस्टॉल होगा फ्लोटिंग सोलर पैनल
गुजरात में अहमदाबाद-गांधीनगर रूट पर नर्मदा नहर के दोनों ओर फ्लोटिंग सोलर पैनल लगाए जाएंगे। इस सिस्टम में 15 सोलर पैनल की एक सीरीज इंस्टॉल करी जाएगी जिससे 3 मेगावाट बिजली पैदा होगी। इन एडवांस सोलर पैनल का प्रोडक्शन भी गुजरात में ही किया जाएगा। इसके प्रोजेक्ट के लिए राज्य सरकार ने भी अपनी मंजूरी दे दी है और इसे PDEU (पंडित दीनदयाल एनर्जी यूनिवर्सिटी) और GSECL (गुजरात स्टेट इलेक्ट्रिसिटी कारपोरेशन लिमिटेड) द्वारा जॉइंटली ऑपरेट किया जाएगा।
प्रोजेक्ट की कॉस्ट और गोल
PDEU के कनवोकेशन में डायरेक्टर प्रोफेसर एस. सुंदर मनोहरन ने बताया कि इस प्रोजेक्ट को इम्प्लीमेंट करने के लिए गुजरात सरकार 26 करोड़ का इन्वेस्टमेंट करेगी। उन्होंने बताया कि स्टेट में 1 मेगावाट कैपेसिटी वाले सोलर पैनल सिस्टम इंस्टॉल करने के लिए लगभग छह एकड़ ज़मीन की आवश्यकता है। इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद टूरिस्ट इसे देखने के लिए साइट पर आ सकते हैं जिससे एडिशनल इनकम भी जनरेट होगी। यह सिस्टम 1.5 MWh बिजली स्टोर करने की कैपेसिटी भी रखता है।
गुजरात स्टेट एनर्जी और पेट्रोकेमिकल्स डिपार्टमेंट की प्रिंसिपल सक्रेटरी ममता वर्मा ने प्रोजेक्ट को अप्रूवल और इसके टारगेट की डिटेल्स भी शेयर करी हैं। नर्मदा फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट सफल होने के बाद अन्य जगहों पर भी इम्प्लीमेंट किया जाएगा जिससे गुजरात के रिन्यूएबल एनर्जी कैपेसिटी इनक्रीस होगी।
इस प्रोजेक्ट की सफलता के बाद पूरे स्टेट में में रिजर्वायर और कैनाल पर फ्लोटिंग सोलर पैनल लगाए जाएंगे जिससे ज़मीन की भी बचत होगी और सोलर पैनल हीटिंग की समस्या भी दूर होगी। राज्य में 40 से ज़्यादा रिजर्वायर को छोटे सोलर सिस्टम से इक्विप किया जाएगा। प्रोफ़ेसर मनोहरन के अनुसार फ़्लोटिंग या फ़ोटोवोल्टिक सोलर पैनल हाई एफिसिएंसी के साथ काम कर सकते हैं और फ्यूचर में इसी तरह के प्रोजेक्ट पूरे देश में इम्प्लीमेंट किए जा सकते हैं।
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