इथेनॉल प्रोडक्शन पर बैन हटने से ग्रीन एनर्जी की इन कंपनियों के स्टॉक से मिलेगा तगड़ा रिटर्न
भारत सरकार ने शुगरकेन और बी-हैवी मोलासेस से इथेनॉल प्रोडक्शन पर बैन हटाया है जिससे शुगर प्रोड्यूसिंग कंपनियों के लिए एक काफी अच्छा मुनाफे का मौका हो सकता है। इस स्टेप से नए सीजन की शुरुआत में इथेनॉल की कीमतों में काफी इंक्रीमेंट होगा जिससे शुगर प्रोड्यूसिंग कंपनी काफी अच्छा मुनाफा कमाएंगी और अपनी रेटिंग भी इनक्रीस करेंगी। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कैसे इन कंपनियों से ग्रीन एनर्जी को और भी ज़्याफ़ा प्रोत्साहन मिलेगा जिससे इन कंपनी में इन्वेस्ट करना समझदारी भरा डिसिशन हो सकता है। आइए भारत में बढ़ती ग्रीन एनर्जी कंपनियों के बारे में।
सरकार के इस डिसिशन से होगा कई कंपनियों को फायदा
29 अगस्त को सरकार ने सुगरकेन जूस, बी-हैवी मोलासेस, सी-हैवी मोलासेस और ग्रेन से इथेनॉल प्रोडक्शन को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, शुगर मिलों और स्टैंडअलोन डिस्टिलरी को इथेनॉल प्रोडक्शन के लिए भारतीय फ़ूड कारपोरेशन (FCI) से 2.3 मिलियन टन राइस खरीदने की अनुमति दी गई है।
यह पालिसी चेंज शुगर कंपनियों को अपनी इथेनॉल प्रोडक्शन कैपेसिटी का पूरा उपयोग करने का अवसर ऑफर करता है। पिछले सीजन में फीडस्टॉक पर बैन ने शुगर कंपनियों को अपनी डिस्टिलरी कपकैय का केवल 60-70% उपयोग करने तक लिमिट कर दिया था। बैन हटने के बाद कंपनियों को प्रोडक्शन कैपेसिटी और इनकम दोनों में इंक्रीमेंट देखने को मिलेगा।
शुगर कंपनियों की रेटिंग में भी होगा इम्प्रूवमेंट
DAM कैपिटल की एक रिपोर्ट के अनुसार इथेनॉल पालिसी में चेंज और डिस्टिलरी कैपेसिटी के बेहतर उपयोग से शुगर कंपनियों के रेवेन्यू में भी इंक्रीमेंट होने की उम्मीद है। इसके कारण शुगर सेक्टर की रेटिंग में भी इम्प्रूवमेंट होने की उम्मीद है।
बलरामपुर शुगर मिल्स, त्रिवेणी इंजीनियरिंग और डालमिया भारत शुगर जैसी मेजर कंपनियों को इस चेंज से डायरेक्ट बेनिफिट होगा। एक्सपर्ट का मानना है कि इथेनॉल प्रोडक्शन से बढ़ी इनकम से इन कंपनियों के शेयर की कीमतों में भी इंक्रीमेंट हो सकता है जिससे इन्वेस्टर्स को काफी अच्छा रिटर्न मिल सकता है।
इथेनॉल प्रोडक्शन का भारत में फ्यूचर
भारत का कर्रेंटली शुगर स्टॉक 8 मिलियन टन से ज्यादा होगा जो डोमेस्टिक कंसम्पशन की नीड्स से काफी ज्यादा है। इस सरप्लस का उपयोग लगभग 5 मिलियन टन एडिशनल इथेनॉल का प्रोडक्शन करने के लिए किया जा सकता है।
सरकार के फैसले से शुगर मिल अब इथेनॉल प्रोडक्शन की अपनी कैपेसिटी का पूरा उपयोग कर सकती हैं जिससे स्टेबल इनकम भी जनरेट होगी। इस पालिसी चेंज से भारत के इथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम में तेज़ी आने की उम्मीद है जिससे आने वाले सालों में शुगर इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलेगा।
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