Solar लगवाने से पहले जरूर जान लें ये 3 बातें, सोलर को लेकर 3 बड़े मिथ

सोलर पैनलों के बारे में 3 मिथ और उनकी सच्चाई जानें

आज की दुनिया में सोलर पैनल एक बेहतरीन टेक्नोलॉजी है जो आपके घर को बिजली प्रोवाइड करने के लिए सोलर एनर्जी का उपयोग करती है। बिजली की बढ़ती डिमांड और एनर्जी रिसोर्स की कमी ने लोगों को अल्टरनेटिव एनर्जी सोर्स की तलाश करने के लिए प्रेरित किया है। सोलर पैनल के बारे में कई मिथक और गलत फैमि लोगों को इस टेक्नोलॉजी को अपनाने से रोक सकती हैं। यह आर्टिकल में हम सोलर पैनल के बारे में कुछ सबसे बड़े मिथकों या झूठ का खुलासा करेंगे और सच्चाई जानेंगे। आइए जानते हैं इसके बारे में।

Myth 1: कम धूप में सोलर पैनल कम एफ्फिसिएंट होते हैं

सोलर पैनलों के बारे में 3 मिथ और उनकी सच्चाई के बारे में जानें
Source: SolarReviews

एक ग़लतफ़हमी यह है कि सोलर पैनल सिर्फ़ इंटेंस सनलाइट में ही मैक्सिमम एनर्जी जनरेट करते हैं और बादल या बरसात की कंडीशन में उनकी एफिशिएंसी काफ़ी कम हो जाती है। टेक्निकल प्रोग्रेस के कारण मॉडर्न सोलर पैनल इन कंडीशन में भी एनर्जी जनरेट कर सकते हैं। पैनल का टेम्प्रेचर सनलाइट की नटेन्सिटी से ज़्यादा उसके परफॉरमेंस को एफेक्ट करता है। ज़्यादा टेम्प्रेचर पैनल की एफिशिएंसी को कम कर सकता है क्योंकि ज़्यादा अब्सॉर्ब्ड एनर्जी हीट के रूप में लॉस हो जाती है।

बाइफेसियल सोलर पैनल दोनों तरफ़ से सनलाइट को अब्सॉर्ब कर सकते हैं कर स्टैण्डर्ड पैनल की तुलना में ज़्यादा एनर्जी जनरेट करते हैं। यह विशेषता उन्हें अलग-अलग मौसम की कंडीशन में ज़्यादा एफ्फिसिएंट बनाती है। सोलर पैनल लगाते समय उनके स्ट्रक्चर और इंस्टालेशन हाइट पर विचार करना ज़रूरी है। ग्राउंड लेवल या जीरो स्ट्रक्चर पर लगाए गए पैनल ज़्यादा गर्म हो सकते हैं जिससे उनकी एफिशिएंसी कम हो जाती है। इसलिए मैक्सिमम एनर्जी प्रोड्कशन के लिए पैनलों को ज़मीन या छत से 2 से 2.5 फ़ीट ऊपर लगाया जाना चाहिए।

Myth 2: सोलर पैनल केवल डायरेक्ट लाइट में काम करते हैं

सोलर पैनल के बारे में सबसे आम गलतफहमियों में से एक यह है कि वे केवल डायरेक्ट लाइट में काम करते हैं और बादल छाए रहने या बारिश होने पर एनर्जी जनरेट नहीं करते हैं। यह बिलीफ पूरी तरह से गलत है। आज के समय के मॉडर्न सोलर पैनल खासकर 2021 के बाद डेवेलप किए गए वे बादलों की प्रजेंस में भी एनर्जी जनरेट कर सकते हैं। इन पैनलों में एडवांस हाफ-कट टेक्नोलॉजी और अन्य लेटेस्ट फीचर्स हैं जो कई मौसम की कंडीशन के दौरान फंक्शनिंग बनाए रखते हैं।

Myth 3: सोलर पैनल को काम करने के लिए बिजली की ज़रूरत होती है

तीसरी ग़लतफ़हमी यह है कि सोलर पैनल सिस्टम सिर्फ़ बिजली होने पर ही काम करते हैं। यह समझना ज़रूरी है कि सोलर पैनल सिस्टम दो प्रकार के होते हैं – ऑन-ग्रिड और ऑफ-ग्रिड। ऑन-ग्रिड सिस्टम ग्रिड की अवेलेबिलिटी पर निर्भर करते हैं लेकिन ऑफ-ग्रिड सिस्टम ऐसा नहीं करते। ऑफ-ग्रिड सिस्टम बिजली के बिना भी काम कर सकते हैं जिससे वे दूर-दराज के इलाकों में यूज़फुल हो जाते हैं जहाँ ग्रिड की सप्लाई अवेलेबल नहीं है।

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