जानिए सोलर सिस्टम लगवाने में आता है कितना खर्च, सब्सिडी के बाद हुई कम कीमत

सोलर सिस्टम की पूरी कीमत और इंस्टालेशन गाइड देखिए 2024 के लिए

टेक्नोलॉजी की रैपिड ग्रोथ के साथ कई लोग इसके एप्लीकेशन से कई बेनिफिट प्राप्त कर सकते हैं। ऐसी ही एक टेक्नोलॉजी है सोलर पैनल जिसे सही तरीके से सेटअप करने पर आप कई सालों तक एफ्फिसिएंट और रिलाएबल पावर प्रोडक्शन प्रोवाइड की जा सकती है। इस आर्टिकल में हम बात करेंगे सोलर पैनलों के बारे में, ये क्या होते हैं, इनका उपयोग कैसे और कहाँ होता है साथ ही जानेंगे अलग-अलग इक्विपमेंट के बारे में जिनका उपयोग किया जाता है एक सोलर सिस्टम में और क्या कीमत होती है एक सोलर सिस्टम की। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।

सोलर सिस्टम क्या होता है?

एक सोलर सिस्टम की क्या कीमत होती है 2024 में, जानिए पूरी इंस्टालेशन गाइड और कीमत
Source: Al Jazeera

एक कम्पलीट सोलर सिस्टम में सोलर पैनल, सोलर इनवर्टर, सोलर चार्ज कंट्रोलर और सोलर बैटरी जैसे मेजर कॉम्पोनेन्ट शामिल होते हैं। इनके अलावा, सिस्टम की स्टेबिलिटी और सेफ्टी को बढ़ाने के लिए अन्य छोटे कॉम्पोनेन्ट को भी एइंटीग्रेट किया जाता है। सोलर पैनल और सोलर इनवर्टर सभी टाइप के सिस्टम के लिए आवश्यक हैं। सोलर सिस्टम को दो टाइप में डिवाइड किया जा सकता है –

ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम: इस टाइप के सिस्टम में बैटरी का उपयोग नहीं होता है। सोलर पैनलों द्वारा जनरेट की गई बिजली को नेट मीटर का उपयोग करके इलेक्ट्रिक ग्रिड के साथ शेयर किया जाता है जो साझा की गई बिजली के अमाउंट को मापता है। यह सिस्टम बिजली के बिलों को काफी कम कर सकता है और सरकारी सब्सिडी के लिए भी यूजर को एलिजिबल बनाता है।

ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम: यह सिस्टम अक्सर बिजली कटौती वाले इलाकों के लिए सूटेबल होता है, और सोलर पैनलों द्वारा जनरेट की गयी बिजली को बैटरी में स्टोर करती है। यूजर फिर इस स्टोर की गयी बिजली का उपयोग अपनी नीड्स के अनुसार कर सकते हैं। बैटरी की कीमत के कारण ऑफ-ग्रिड सिस्टम लगाने की कॉस्ट ज्यादा होती है।

सोलर पैनल की इंस्टालेशन कॉस्ट

रूफटॉप सोलर सिस्टम घरों या कमर्शियल बिल्डिंग की छतों पर लगाए जाते हैं। इंस्टालेशन से पहले सिस्टम की कैपेसिटी तय करने के लिए लोड और छत के एरिया का असेसमेंट किया जाता है जिसे किलोवाट में मापा जाता है। लोड की कैलकुलेशन बिजली के बिल, मीटर या बिजली से चलने वाले एप्लायंस का उपयोग करके की जा सकती है। सरकारें रेजिडेंशियल उपयोग के लिए रूफटॉप सोलर इंस्टॉलेशन में 10 किलोवाट कैपेसिटी तक के ऑन-ग्रिड सिस्टम के लिए सब्सिडी प्रोवाइड करती हैं।

सोलर सब्सिडी को ऐसे चेक करें

अपने राज्य के लिए सोलर सब्सिडी की जाँच करने के लिए सबसे पहले सोलर रूफटॉप सब्सिडी कैलकुलेटर पर क्लिक करें। फिर अपना रूफटॉप एरिया, सोलर पैनल कैपेसिटी या बजट चुनें, इसके बाद अपना राज्य और कस्टमर केटेगरी चुनें।
फिर अपने राज्य में प्रति यूनिट एवरेज इलेक्ट्रिसिटी रेट एंटर करें और फिर ‘कैलकुलेट करें’ पर क्लिक करें। फिर सब्सिडी और टोटल इंस्टालेशन कॉस्ट डिस्प्ले की जाएगी।

सोलर सिस्टम के कंपोनेंट्स

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Source: Union of Concerned Scientists

सोलर पैनल

सोलर पैनल फोटोवोल्टिक (PV) सेल का उपयोग करके सनलाइट को इलेक्ट्रिकल एनर्जी में कन्वर्ट करते हैं। भारत में उपयोग किए जाने वाले टाइप के पैनलों में पॉलीक्रिस्टलाइन पैनल, मोनोक्रिस्टलाइन पैनल और बाइफेसियल पैनल शामिल हैं। पॉलीक्रिस्टलाइन पैनलों पर सब्सिडी प्रोवाइड करी जाती है और इन्हें नीले रंग से जाना जाता है। यह पैनल डायरेक्ट सनलाइट में शानदार परफॉरमेंस करते हैं और इनकी कीमत लगभग ₹30-₹36 प्रति वाट तक हो सकती है।

वहीँ मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल डार्क ब्लू या काले रंग के होते हैं और ज्यादा एफ्फिसिएंट लेकिन महंगे भी होते हैं। इनकी कीमत लगभग ₹45-₹65 प्रति वाट तक हो सकती है। फिर आते हैं बाइफेसियल सोलर पैनल जो सबसे एडवांस टेक्नोलॉजी के पैनल होते हैं और दोनों तरफ से बिजली जनरेट करने में सक्षम होते हैं। इन पैनलों की कीमत लगभग ₹45-₹65 प्रति वाट है जो बाकी पैनलों से मेहेंगी है।

सोलर इन्वर्टर

सोलर इन्वर्टर सोलर पैनलों द्वारा जनरेट किए गए डायरेक्ट करंट को अल्टेरनेटिंग करंट में स्टोर करते हैं। इनमे दो टाइप की टेक्नोलॉजी अवेलेबल है जिसमें PWM (पल्स विड्थ मॉड्यूलेशन) और MPPT (मैक्सिमम पावर पॉइंट ट्रैकिंग) टेक्नोलॉजी शामिल हैं।

सोलर बैटरी

सोलर बैटरी को बिजली को स्टोर करने के लिए ऑफ-ग्रिड या हाइब्रिड सिस्टम में इस्तेमाल की जाती हैं। यह ट्यूबलर और लिथियम-आयन टाइप की टेक्नोलॉजी में उपलब्ध हैं और इनका इस्तेमाल पावर बैकअप की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए किया जाता है।

एडिशनल इक्विपमेंट और कॉस्ट

एक सोलर सिस्टम में पैनल स्टैंड, ACDB और DCDB बॉक्स, लाइटनिंग अरेस्टर, DC और AC वायर, MC4 कनेक्टर, वायर थिम्बल और इंस्टॉलेशन और मेंटेनेंस के लिए कई इक्विपमेंट शामिल हैं।

मेंटेनेंस और सेफ्टी के लिए एनुअल मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट (AMC) का ऑप्शन चुनना सही है जिसकी शुरुआती कॉस्ट लगभग ₹1,500-₹2,000 और एनुअल कॉस्ट ₹10,000 तक होती है। यह रेगुलर क्लीनिंग और मेन्टेन्स ऑफर करते हैं, जिससे पैनल की फंक्शनिंग और एफिशिएंसी बनी रहती है।

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