ग्रीन हाइड्रोजन के बाजार में आने के लिए TKIL इंडस्ट्रीज ने किया SoHHytec के साथ टाईअप, देखिए पूरी डिटेल

TKIL इंडस्ट्रीज SoHHytec से साझेदारी के साथ प्रवेश करेगी ग्रीन हाइड्रोजन के बाजार में और प्रदान करेगी लागत-प्रभावी समाधान

भारत की प्रसिद्ध कंपनियों में से एक, TKIL इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड (पहले थिसेनक्रुप इंडस्ट्रीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड) ने हाइड्रोजन उत्पादन में विशेषज्ञता रखने वाली स्विस कंपनी SoHHytec SA के साथ साझेदारी करके ग्रीन हाइड्रोजन क्षेत्र में एक एहम कदम उठाया है।

इस सहयोग के माध्यम से TKIL को भारत में SoHHytec की आर्टिफीसियल फोटोसिंथेसिस की तकनीक बनाने और इसके उपयोग के लिए विशेष अधिकार प्रदान करेगी। यह 2030 तक 7.5 मिलियन टन ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन के देश के लक्ष्यों को हासिल करने में एहम भूमिका निभाएगी।

साझदारी का पूरा विवरण जानें

Gensol-engineering-and-matrix-gas-to-collaborate-develop-a-new-green-hydrogen-valley-in-pune

TKIL इंडस्ट्रीज SoHHytec से साझेदारी के साथ प्रवेश करेगी ग्रीन हाइड्रोजन के बाजार में
Source: IEEFA

SoHHytec की आर्टिफीसियल फोटोसिंथेसिस तकनीक हाइड्रोजन उत्पादन के लिए सौर और पवन जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करती है। यह कंपनी उच्चतम प्रत्यक्ष सोलर हाइड्रोजन उत्पादन दक्षता में पूरी दुनिया की शीर्ष कंपनी का विश्व रिकॉर्ड भी रखती है। यह कंपनी पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा लागत प्रभावी हाइड्रोजन समाधानों में से एक है। यह कंपनी कार्बन मुक्त करने में मुश्किल क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करती है जिसमे स्टील, उर्वरक, सीमेंट, जैव-रसायन, और परिवहन जैसे क्षेत्र शामिल हैं।

TKIL भारत में ग्रीन हाइड्रोजन उपकरण बनाने के लिए एक भारत में ही आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करने की योजना बना रही है। कंपनी इसके माध्यम से आयात पर अपनी निर्भरता को कम करेगी और भारत की “मेक इन इंडिया” पहल के साथ खुद को जोड़ कर आगे बढ़ेगी। ICE-आधारित वाहनों की तुलना में ग्रीन हाइड्रोजन से परिवहन लागत में 50% प्रति किलोमीटर की कमी आ सकती है। यह शानदार फ्लेक्सिबल ऑफ़-ग्रिड और रीसायकल की जाने वाली तकनीक है जो भारत के अलग-अलग और बढ़ते ऊर्जा के क्षेत्र से मेल खाती है।

इस साझेदारी का रणनीतिक उद्देश्य

TKIL के CEO, विवेक भाटिया ने भारत के अनेक उद्योगों में उत्सर्जन को कम करने में ग्रीन हाइड्रोजन की भूमिका पर जोर दिया। इस साझेदारी के माध्यम से भारत के राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन और नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्यों को समर्थन प्रदान किया जाना है।

TKIL शुरू में जयपुर और नागपुर जैसे प्रमुख शहरों में यह परियोजनाएँ स्थापित करेगी और आगे विस्तार की योजना भी बनाई गई है जिसके माध्यम से और परियोजनाओं को स्थापित किया जाएगा और ग्रीन हाइड्रोजन को और बढ़ावा दिया जाएगा। SoHHytec के CEO, डॉ. सौरभ टेम्भुर्ने ने इस बात पर प्रकाश डाला कि उनकी आर्टिफीसियल फोटोसिंथेसिस प्रति किलोग्राम ग्रीन हाइड्रोजन की सबसे कम लागत प्रदान करती है जो भारत के अनेक ऊर्जा के उद्देश्य के लिए सकारात्मक अनुप्रयोग हो सकता है।

भारत के नेट-जीरो लक्ष्यों में कंपनी का योगदान

यह साझेदारी भारत की 2070 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन हासिल करने की बड़ी योजना में एहम भूमिका निभाती है। उन्नत हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी को अक्षय ऊर्जा स्रोतों के साथ साथ जोड़ कर TKIL स्थिरता और उत्सर्जन में कमी को बढ़ावा देते हुए भारत के ऊर्जा के क्षेत्र को बदलने का लक्ष्य रखती है। यह सहयोग भारत के हरित ऊर्जा के संक्रमण में एक एहम भूमिका को दर्शाता है जो अक्षय ऊर्जा में नवाचार के रूप में कंपनी को स्थापित करता है और देश की स्थिति को को भी मजबूत करता है।

अस्वीकरण: यह लेख केवल केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और निवेश या तकनीकी सलाह नहीं है।

Leave a Comment