सोलर पैनल से जुडी 5 गलत फैमियों के बारे में जानें

सोलर पैनल से जुडी 5 गलत फैमीयाँ

बिजली की बढ़ती मांग और एनर्जी रिसोर्स की कमी ने लोगों को अल्टरनेटिव एनर्जी सोर्स की ओर देखने के लिए मजबूर कर दिया है। सोलर पैनलों के बारे में कई गलत धारणाएँ और मिथ लोगों को इस टेक्नोलॉजी को अपनाने से रोक सकते हैं। इस आर्टिकल में हम बात करेंगे सोलर पैनल से सम्बंधित 5 ऐसी गलत फैमीयाँ जिनके बारे में आपको जानना चाहिए सोलर पैनल खरीदने से पहले।

1. सोलर पैनल केवल डायरेक्ट सनलाइट में ही काम करते हैं

सोलर पैनल से जुडी 5 गलत फैमियों के बारे में जानें
Source: Deege SOlar

सोलर पैनलों के सन्दर्भ में यह एक आम ग़लतफ़हमी है कि वे केवल सीधी धूप में ही काम करते हैं और बादल या बरसात के दिनों में काम नहीं कर सकते हैं। यह धारणा पूरी तरह से झूठी है। आज के समय के सोलर पैनल बादल की स्थिति में भी एनर्जी जनरेट कर सकते हैं। इन पैनलों में एडवांस्ड हाफ-कट टेक्नोलॉजी और अन्य लेटेस्ट फीचर्स शामिल हैं जो कई मौसम की कण्डीशन में एफिशिएंसी बनाए रखते हैं।

2. कम रोशनी में सोलर पैनल की एफिशिएंसी कम हो जाती है

एक और गलत फैमी यह है कि सोलर पैनल केवल तेज धूप में ही मैक्सिमम एनर्जी पैदा करते हैं और बादल या बरसात के मौसम में उनकी एफिशिएंसी कम हो जाती है। जबकि सूरज की रोशनी की इंटेंसिटी आउटपुट को एफेक्ट करती है, मॉडर्न सोलर पैनल खराब मौसम की स्थितियों में भी एनर्जी जनरेट करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। सोलर पैनल के परफॉरमेंस को प्रभावित करने में टेम्प्रेचर काफी इम्पोर्टेन्ट रोल निभाता है।

हाई टेम्प्रेचर एक पैनल की एफिशिएंसी को कम कर सकता है क्योंकि अब्सॉर्ब की गयी एनर्जी बिजली में कन्वर्ट होने के बजाय गर्मी के रूप में दिसिपेट हो जाती है। बाइफेशियल सोलर पैनल दोनों तरफ से सूर्य के प्रकाश को अब्सर्ड कर सकते हैं और कई मौसम स्थितियों में प्रभावी होते हैं। इन पैनलों में सेल के बीच एक छोटा सा अंतर होता है जो बेहतर लाइट के उपयोग की अनुमति देता है और अत्यधिक गर्मी के निर्माण को रोकता है।

3. सोलर पैनलों को ऑपरेट करने के लिए बिजली की सप्लाई की आवश्यकता होती है

तीसरा मिसकन्सेप्शन यह है कि सोलर पैनल सिस्टम केवल तभी काम करते हैं जब मौजूदा बिजली सप्लाई हो। इसके लिए आपको ऑन-ग्रिड और ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम प्रणालियों के बीच अंतर को समझना महत्वपूर्ण है। ऑन-ग्रिड सिस्टम विद्युत ग्रिड से जुड़े होते हैं और एक्स्ट्रा बिजली को ग्रिड में वापस भेज सकते हैं, जिससे कंस्यूमर को क्रेडिट मिलता है। वहीँ ऑफ-ग्रिड सिस्टम ग्रिड से इंडिपेंडेंट होते हैं और आम तौर पर जनरेट की गयी एनर्जी को स्टोर करने के लिए बैटरी स्टोरेज के साथ आते हैं जो उन्हें ग्रिड पहुंच के बिना दूरदराज के क्षेत्रों के लिए सूटेबल बनाता है।

4. सोलर पैनल की कैपेसिटी कम होती है

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Source: Mercom India

सोलर पैनल केवल पंखे और टीवी जैसे छोटे भार को ही बिजली दे सकते हैं और इंडस्ट्रियल इक्विपमेंट या बड़े घरेलू इक्विपमेंट के लिए पर्याप्त नहीं हैं। यह बात भी सच नहीं है क्यूंकि आज के समय के सोलर पैनल सिस्टम इंडस्ट्रियल मशीनरी, एयर कंडीशनर और डीप फ़्रीज़र सहित पर्याप्त लोड कोहैंडल सकते हैं। कैपेसिटी यूजर की आवश्यकताओं के अनुरूप सोलर सिस्टम के डिजाइन और साइज पर निर्भर करती है।

5. सोलर पैनल केवल अमीर लोग ही लगवा सकते हैं

एक आम धारणा यह है कि सोलर पैनल सिस्टम केवल अमीरों के लिए हैं और इनसे इन्वेस्टमेंट पर मिनिमम रिटर्न मिलता है। आलोचकों का तर्क है कि रेगुलर ग्रिड बिजली के उपयोग की तुलना में सोलर सिस्टम पर लाखों खर्च करना बेनिफिशियल नहीं है। जबकि सोलर पैनल सिस्टम एक लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट है जिसका लाभ समय के साथ मिलता है। एक अच्छी तरह से डिज़ाइन किए गए सोलर पैनल सिस्टम के लिए इन्वेस्टमेंट पर रिटर्न (ROI) काफी ज्यादा हो सकता है खासकर हाई एनर्जी कॉस्ट वाले क्षेत्रों में। सोलर पैनल न केवल बिजली के बिल को कम करते हैं बल्कि ऊर्जा का एक स्वच्छ, रिन्यूएबल सोर्स भी प्रदान करते हैं।

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