नर्मदा में लगेगा सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर पैनल सिस्टम
आज रिन्यूएबल एनर्जी के सेक्टर में कई एडवांसमेंट देखने को मिल रहे हैं और जिससे कई नए और मॉडर्न इक्विपमेंट का डेवेलपमेंट किया जा रहा है। इन इक्विपमेंट का उपयोग करके पर्यावरण की भी सुरक्षित रखने में मदद मिल है। गुजरात सोलर एनर्जी प्रोडक्शन के लिए भारत में लीडिंग स्टेट बनता जा रहा है जिसकी सोलर प्रोडक्शन कैपेसिटी 7,000 मेगावाट से ज्यादा हो गई है। इस आर्टिकल में हम बात करेंगे नर्मदा कैनाल पर बने फ्लोटिंग सोलर पैनल सिस्टम के बारे में और यह कैसे काम करता है और कितनी बिजली प्रोड्यूस करेगा।
फ्लोटिंग सोलर पैनल से बिजली जनरेट करना
अहमदाबाद से गांधीनगर के रास्ते पर नर्मदा कैनाल के दोनों ओर फ्लोटिंग सोलर पैनल लगाए जाएंगे। इसमें 15 सोलर पैनल की एक सीरीज इंस्टॉल की जाएगी जो 3 मेगावाट बिजली पैदा करने में सक्षम होगी। इन एडवांस सोलर पैनल का कंस्ट्रक्शन गुजरात में ही किया जाएगा। राज्य सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए इन-प्रिंसिपल अप्रूवल दे दिया है। इस प्रोजेक्ट का मैनेजमेंट पंडित दीनदयाल एनर्जी यूनिवर्सिटी (PDEU) और गुजरात स्टेट इलेक्ट्रिसिटी कारपोरेशन लिमिटेड (GSECL) द्वारा जॉइंटली किया जाएगा।
प्रोजेक्ट में इन्वेस्टमेंट
यूनिवर्सिटी के कनवोकेशन में PDEU के डायरेक्शन जनरल प्रोफेसर एस. सुंदर मनोहरन ने अनाउंस किया कि गुजरात सरकार इस प्रोजेक्ट में ₹26 करोड़ का इन्वेस्टमेंट कर रही है। राज्य में 1 मेगावाट कैपेसिटी वाले सोलर सिस्टम इंस्टॉल करने के लिए लगभग 6 एकड़ ज़मीन की आवश्यकता होती है। एक बार यह सोलर प्रोजेक्ट इंस्टॉल हो जाने के बाद टूरिस्ट भी इस प्रोजेक्ट को देखने और देखने आ सकते हैं। 3 मेगावाट का यह सिस्टम 1.5MWh बिजली स्टोर करेगा।
प्रोजेक्ट के टारगेट
गुजरात राज्य सरकार के एनर्जी और पेट्रोकेमिकल्स डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल सेक्रेटरी सचिव ममता वर्मा ने इस प्रोजेक्ट के अप्रूवल के बारे में जानकारी प्रोवाइड करी है। उन्होंने योजना के टारगेट को हाईलाइट करते हुए कहा कि “नर्मदा फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट के सफल इम्प्लीमेंटेशन के बाद अन्य जगहों पर भी इसी तरह के प्रोजेक्ट इंस्टॉल किए जाएंगे। इससे स्टेट की रिन्यूएबल एनर्जी कैपेसिटी भी बढ़ेगी और PDEU फ्यूचर के प्रोजेक्ट के लिए डायरेक्शन बनाएगा।”
इस प्रोजेक्ट के सफल होने के बाद स्टेट के रिजर्वायर और कैनाल में फ्लोटिंग सोलर पैनल लगाए जाएँगे। इससे ज़मीन का बचा सकेंगे और सोलर पैनल के कारण होने वाली हीटिंग की समस्या भी कम होगी। स्टेट में 40 से ज़्यादा रिजर्वायर में छोटे सोलर सिस्टम लगाए जा सकते हैं। एस. मनोहरन ने बताया कि फ्लोटिंग या फ्लोटोवोल्टाइक सोलर पैनल हाई एफिशिएंसी के साथ काम कर सकते हैं। फ्यूचरड में पूरे भारत में इसी तरह के प्रोजेक्ट इंस्टॉल किए जाएंगे।
निष्कर्ष
हाई कैपेसिटी इलेक्ट्रिसिटी का एफ्फिसिएंट उपयोग करने के लिए मॉडर्न सोलर सिस्टम टेक्नोलॉजी का उपयोग करना ज़रूरी है। सोलर पैनल ग्रीन फ्यूचर की ओर बढ़ने के लिए एक बेहतरीन ऑप्शन हैं। वे प्रदूषण पैदा किए बिना बिजली पैदा करते हैं देश की रिन्यूएबल एनर्जी कैपेसिटी को बढ़ाते हैं और फॉसिल फ्यूल पर निर्भरता को कम करते हैं।
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