हरयाणा DISCOM अब लगाएगा 28.35 MW के सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट
हरयाणा में सोलर एनर्जी रिवोल्युशन को तेज़ करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम में, दक्षिण हरयाणा बिजली वितरण निगम (DHBVN) ने प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (PM-KUSUM) के कॉम्पोनेन्ट A के तहत 28.35 MW की डेसेंट्रलाइज़्ड सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट की स्थापना के लिए एप्लीकेशन इन्वाइट किए हैं। PM-KUSUM कॉम्पोनेन्ट A किसानों को अपनी ज़मीन पर 10,000 MW डेसेंट्रलाइज़्ड ग्राउंड या एलिवेटेड लैंड पर लगे ग्रिड से जुड़े सोलर या अन्य रिन्यूएबल एनर्जी बेस्ड पावर प्रोजेक्ट की इंस्टालेशन के लिए सब्सिडी प्रदान करता है।
कौन-कौन अप्लाई कर सकता है इसमें?
- इच्छुक किसान
- किसानो का ग्रुप
- पंचायतें
- कोआपरेटिव सोसाइटी
- किसान प्रोडूसर आर्गेनाइजेशन (FPO)
- जल उपयोगकर्ता एसोसिएशन
प्रोजेक्ट स्पेसिफिकेशन:
- प्रोजेक्ट कैपेसिटी: 500 kW से 2 MW
- लोकेशन: किसी सबस्टेशन के 5 Km के रेडियस में
- एप्लीकेशन सबमिट करने की लास्ट डेट: 27 मार्च, 2024
- प्रोसेसिंग फी: ₹5,000 प्रति मेगावाट
- बैंक गारंटी: ₹1,00,000 प्रति मेगावाट
प्रोजेक्ट कॉस्ट और फाइनेंसियल एलिजिबिलिटी:
- एस्टिमेटेड कॉस्ट: ₹40,000,000,000 प्रति मेगावाट
- सफ्फीसिएंट फण्ड के प्रूफ के लिए आवश्यक अमाउंट: ₹12,000,000,000 प्रति मेगावाट (प्रोजेक्ट कॉस्ट का 30%)
- FY 2023 के लिए डेवलपर की नेट वर्थ: ₹10,000,000,000 प्रति मेगावाट एप्लाइड की गई कैपेसिटी से कम नहीं होनी चाहिए
बिजली परचेस एग्रीमेंट और लैंड यूज़:
- सिलेक्टेड बिडर को अलॉटमेंट के दो महीने के भीतर हरयाणा पावर परचेज सेंटर (HPPC) के साथ 25 साल का बिजली परचेस एग्रीमेंट करना होगा।
- प्रोजेक्ट्स को 15 महीनों के अंदर चालू किया जाना चाहिए, ऐसा नहीं करने पर परफॉरमेंस बैंक गारंटी एनकेश कर ली जाएगी।
- प्रोजेक्ट को बंजर, नॉन-कल्टिवेबल, पेस्टर या मार्शय लैंड पर एस्टेबिलिश किया जाना चाहिए।
- एग्रीकल्चरल लैंड का उपयोग भी किया जा सकता है। प्रोजेक्ट को खेतों के बीच पर्याप्त जगह के साथ ऊँचे स्थान पर इंस्टॉल किया जाए ताकि एग्रीकल्चरल एक्टिविटी में बाधा न आए।
- प्रोजेक्ट इंस्टॉल करने के लिए लगभग 4 एकड़ प्रति मेगावाट लैंड की नीड होती है।
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