सोलर पैनलों कितनी तरह के होते हैं जानिए
सोलर एनर्जी सूर्य से प्राप्त एक प्राकृतिक रिसोर्स है जो फोटॉन के रूप में पृथ्वी पर आती है। इस एनर्जी को इलेक्ट्रिकल एनर्जी में बदलने के लिए सोलर पैनल ज़रूरी इक्विपमेंट हैं। सोलर पैनल बिना किसी प्रदूषण के सोलर एनर्जी को बिजली में बदल देते हैं जिससे यह पबिना प्रदूषण और कार्बन एमिशन के आपकी बिजली की नीड्स को पूरा कर सकता है। कई कंस्यूमर अलग-अलग प्रकार के सोलर पैनल के बारे में जानकारी की कमी के कारण अपने सोलर प्लांट में अलग सोलर पैनल लगाते हैं जिससे प्लांट और फाइनेंसियल दोनों तरह के नुकसान होते हैं। इस आर्टिकल में हम बात करेंगे सोलर पैनलों के टाइप के बारे में, क्या एफिशिएंसी होती है उनकी और आपके सोलर प्लांट के लिए कोनसे सोलर पैनल ज़रूरी हैं।
सोलर पैनल के टाइप को जानिए
सोलर पैनल के प्रकारों के बारे में जानने से पहले ये जान लेना ज़रूरी हैं कि सोलर पैनल क्या होते है। सोलर पैनल सोलर सेल से बने होते हैं जो सनलाइट को इलेक्ट्रिक्ल एनर्जी में बदलते हैं। ये फोटोवोल्टिक सेल आमतौर पर पी-टाइप और एन-टाइप सेमीकंडक्टर सिलिकॉन से बने होते हैं। और इनके टाइप के आधार पर सोलर पैनल चार तरीके की टेक्नोलॉजी के आधार पर अवेलेबल हैं, इसमें मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल, पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल, PERC सोलर पैनल, और बाइफेसियल सोलर पैनल शामिल हैं।
1. पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल
पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल मल्टी-लेयर सोलर पैनल के रूप में भी जाने जाते हैं। और ये कई सिलिकॉन क्रिस्टल से बने होते हैं। इनका रंग आमतौर पर नीला होता है और मोनोक्रिस्टलाइन पैनल की तुलना में इनकी मैन्युफैक्चरिंग आसान होता है। कई क्रिस्टल होने के कारण इलेक्ट्रॉनों को घूमने की कम फ्रेम्डोम होता है जिसके कारण इनकी एफिशिएंसी थोड़ी कम होती है। इन सोलर पैनलों की एफिशिएंसी 16-17% तक होती है और कम लाइट और बुरे मौसम की कंडीशन में कम एफ्फिसिएक्ट होते हैं। यह ज्यादा टेम्प्रेचर पर ओवरहीट हो सकते हैं और मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनलों के मुक़ाबले काफी सस्ते होते हैं और सबसे ज्यादा उपयोग में होने वाले सोलर पैनलों में से एक हैं।
2. मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल
मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनलों को सिंगल-क्रिस्टल सोलर पैनल भी कहा जाता है सिलिकॉन से बने होते हैं। प्योर सिलिकॉन कम्पोजीशन के कारण इनका रंग काला या गहरा नीला होता है। इन पैनलों में सोलर सेल सिलिकॉन वेफ़र से काटे जाते हैं जिससे उन्हें कट एज के साथ एक गोल शेप मिलता है। यह हाई एफिशिएंसी वाले सोलर पैनल प्योर सिलिकॉन का उपयोग करते हैं जिनकी एफिशिएंसी 22% है। यह पैनल खराब मौसम और कम धुप वाले दिनों में भी अच्छी परफॉरमेंस डिलीवर करते हैं और हाई टेम्प्रेचर पर भी अच्छी एफिशिएंसी मेन्टेन करते हैं। ये पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनलों से ज्यादा मेहेंगे अपने काम्प्लेक्स (Czochralski मेथड) से मनुफक्टोरे होने के कारण।
3. PERC सोलर पैनल
पैसिवेटेड एमिटर और रियर सेल (PERC) पैनल में सेल के पीछे एक एडिशनल डाइइलेक्ट्रिक पैसिवेशन लेयर होती है जो एनर्जी कन्वर्शन को बढ़ाने के लिए फोटॉन को वापस सेल में कन्वर्ट करती है। ये पैनल मोनोक्रिस्टलाइन और पॉलीक्रिस्टलाइन दोनों रूपों में बनाए जा सकते हैं। ये अपनी पस्सित्वातिओं लेयर की वजह से ज्यादा एफिशिएंसी ऑफर करते हैं और अपने हाफ-कट सेल्स की वजह से ज्यादा एफिशिएंसी डिलीवर करने में सक्षम होते हैं। ये स्टैंडर्ड पॉलीक्रिस्टलाइन और मोनोक्रिस्टलाइन पैनलों की तुलना में ज्यादा मेहेंगे होते हैं।
4. बाइफेशियल सोलर पैनल
बाइफेशियल सोलर पैनल सबसे एडवांस टाइप के सोलर पैनल होते हैं जो दोनों तरफ से सनलाइट को अब्सॉर्ब करने में सक्षम होते हैं। यह ड्यूल अब्सॉर्प्शन पारंपरिक पैनलों की तुलना में एनर्जी प्रोडक्शन को 10% से 30% तक बढ़ा सकता है। इन सोलर पैनलों की एफिशिएंसी 27% से 30% तक होती है जो बाकी पैनलों की तुलना में और भी ज्यादा है। ये पैनल कम स्पेस में भी इंस्टॉल हो सकते हैं और बाकी पैनलों की तुलना में ज्यादा पावर जनरेट करते हैं। इन पैनलों की किसी भी मौसम में उपयोग में लिया जा सकता है और ये हर मौसम में शानदार परफॉरमेंस डिलीवर करते हैं। अपनी शानदार एफिशिएंसी, बेहतर परफॉरमेंस और एडवांस टेक्नोलॉजी के कारण ये बाकी सोलर पैनलों से ज्यादा मेहेंगे भी होते हैं।
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1 thought on “सोलर लगवाने से पहले जरूर जान लें ये बात, कोनसा रहेगा आपके लिए सबसे बढ़िया”