जानिए कैसे बनते हैं Solar Panel और क्या होता है बिजली बनाने का प्रोसेस

सोलर पैनल कैसे बनाए जाते हैं और टेस्ट किए जाते हैं? जानिए

सोलर पैनल किसी भी सोलर सिस्टम का सबसे इम्पोर्टेन्ट कॉम्पोनेन्ट है। वे सूर्य से प्राप्त सोलर एनर्जी को इलेक्ट्रिकल एनर्जी में कन्वर्ट करते हैं जिससे डायरेक्ट करंट इलेक्ट्रिसिटी में जनरेट होती है। घरेलू उपकरणों के लिए इस बिजली का उपयोग करने के लिए DC को अल्टेरनेटिंग करंट में बदलने के लिए एक इन्वर्टर की आवश्यकता होती है। मॉडर्न सोलर पैनल अब एडवांस टेक्नोलॉजी के साथ आते हैं जो उन्हें ज्यादा एफ्फिसिएंट और अफ्फेक्टिव बनाते हैं। इस आर्टिकल में हम बात करेंगे सोलर पैनलों की मैन्युफैक्चरिंग के बारे में और इन्हें कैसे बनाया जाता है इसकी डिटेल्ड जानकारी आपको प्रदान करेंगे।

सोलर पैनल का मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस

सोलर पैनल कैसे बनाए जाते हैं और टेस्ट किए जाते हैं, पूरी मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस जानिए
Source: LA Solar

सोलर पैनल के मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस को इन स्टेप्स के माध्यम से समझा जा सकता है:

सबसे पहले सोलर पैनल की वाट कैपेसिटी के आधार पर लेजर कटिंग मशीन का उपयोग करके सेल काटे जाते हैं। कम्पलीट सेल साइज के पैनल के लिए इस प्रोसेस की आवश्यकता नहीं होती है। फिर सोलर सेल को आपस में जोड़ा जाता है या सोल्डर किया जाता है इस प्रोसेस को स्ट्रिंगिंग कहते हैं। यह ऑटोमेटेड प्रोसेस सुनिश्चित करती है कि नीला/काला पार्ट जो कि नेगेटिव पार्ट है वो सनलाइट की ओर हो जबकि सफ़ेद पार्ट जो कि पॉजिटिव पार्ट है वो पीछे की ओर हो।

स्ट्रिंग करने के बाद, सेल को एथिलीन-विनाइल एसीटेट (EVA) की शीट के बीच सैंडविच किया जाता है और एक दुर्बल ग्लास सरफेस पर रखा जाता है। यह एनकैप्सुलेशन परत सेल की सुरक्षा करती है। फिर सेल को टैप करके किसी भी डिफेक्ट के लिए जाँचा जाता है। फिर सेल को एक क्रम में सिक्युएंस किया जाता है, और किसी भी एडिशनल मटेरियल को ट्रिम किया जाता है। कनेक्शन को इंसुलेट करने और मॉड्यूल को नमी और धूल से बचाने के लिए, EVA एनकैप्सुलेशन और एक बैक शीट का उपयोग किया जाता है।

पैनल को किसी भी दोष की जाँच करने के लिए EI मशीन का उपयोग करके स्कैन किया जाता है। अगर कोई समस्या पाई जाती है तो पैनल को सुधार के लिए वापस भेज दिया जाता है। फिर EI इंस्पेक्शन पास करने के बाद, मॉड्यूल को 130 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान पर लेमिनेट किया जाता है। फिर इसे लगभग 30 मिनट तक ठंडा होने के लिए छोड़ दिया जाता है। बैक शीट पर एक्सेस मटेरियल को ट्रिम किया जाता है।

इसके बाद पैनलों को अलग-अलग साइज के फ़्रेम में काटा जाता है। पैनल को माउंट या ग्राउंड करने के लिए फ़्रेम पंचिंग की जाती है। पैनल को मॉइस्चर और धूल से बचाने के लिए सीलेंट फ़्रेमिंग का उपयोग किया जाता है और इसका इंस्पेक्शन किया जाता है। फिर जंक्शन बॉक्स को सुरक्षित रूप से जोड़ने के लिए सीलेंट का उपयोग किया जाता है और सभी कनेक्शनों को सोल्डर किया जाता है। कनेक्शन मजबूत हैं यह सुनिश्चित करने के लिए मॉड्यूल को कुछ घंटों के लिए छोड़ दिया जाता है। फिर तैयार मॉड्यूल को साफ किया जाता है।

सोलर पैनल की टेस्टिंग

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Source: Council of Foreign Relations

इन स्टेप्स के बाद सोलर पैनल का कई क्राइटेरिया जैसे आउटपुट करंट, वोल्टेज और पावर के लिए टेस्ट किया जाता है। टेस्ट पास करने वाले पैनलों को तदनुसार रेट और लेबल किया जाता है और आगे के रेजिस्टेंस और लोड टेस्ट से गुजरना पड़ता है। सफल पैनलों को फिर सेफ्टी के लिए पैक किया जाता है और बाजार में डिस्ट्रीब्यूशन के लिए तैयार किया जाता है। जो पैनल पास नहीं होते हैं उन्हें फिर से मैन्युफैक्चरिंग के लिए वापस भेज दिया जाता है।

निष्कर्ष

सोलर पैनल का सबसे इम्पोर्टेन्ट हिस्सा फोटोवोल्टिक सेल है जो सोलर एनर्जी को इलेक्ट्रिकल एनर्जी में कन्वर्ट करता है। यह मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस रेपुटेड और रिलाएबल ब्रांडों द्वारा की जाती है जो हाई क्वालिटी और एफिशिएंसी ऑफर करती है। सोलर पैनल खरीदते समय किसी रिलाएबल ब्रांड के प्रोडक्ट चुनना और किसी एक्सपर्ट से सलाह लेना सही रहता है। सोलर सिस्टम लगाकर आप पर्यावरण को बचाने में योगदान करते हैं क्योंकि इससे कोई प्रदूषण नहीं होता है और यह आपके ग्रिड बिजली बिल को भी कम कर सकता है।

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